Friday, November 12, 2010

LIST OF PEOPLE ACCEPT ISLAM


The following is an incomplete list of notable people who converted to Islam from a different religion or no religion






From Christianity
A

1. Abdul-Karim al-Jabbar (Sharmon Shah) - former NBA player


2. Abel Xavier - former Portuguese professional footballer converted to Islam witH his new name Faisal.


Abu Tammam - 9th century Arab poet born to Christian parents.


Abu Usamah - American-born Imam of Green Lane Masjid in Birmingham, UK.Accused of preaching messages of hate towards non-Muslims in a UK Television documentary.


Adam Gadahn (born Adam Pearlman) - al-Qaeda English language spokesman. Homeschooled Christian.


Alexander Litvinenko - former FSB officer converted to Islam on his deathbed.


Alexander Russell Webb - Former Presbyterian.[20] American journalist, newspaper owner, and former Consul-General of the U.S.A. in the Philippines.


Aminah Assilmi - Formerly a Southern Baptist preacher,

André Carson - former Baptist second Muslim to serve the United States Congress.


Anthony Small - professional boxer


Sir Archibald Hamilton, 5th Baronet - a distinguished British convert to Islam.

Atik Sinan - a Greek architect for the Ottomans.


B

Badr al-Din Lu'lu', an Armenian convert to Islam

Benjamin Chavis - controversial former head of the NAACP; joined the Nation of Islam.


Bernard Hopkins - American boxer


Betty Shabazz - wife of Malcolm X; former Methodist.



TO SEE FULL LIST PLZ VISIT LINK BELOW

http://en.wikipedia.org/wiki/List_of_converts_to_Islam

Thursday, November 11, 2010

अजान के मायेने

अज़ान के अरबी शब्द का भावार्थ ‘पुकार कर बताना’ या ‘घोषणा करना’ है। अज़ान देकर लोगों को पुकारा, बताया, बुलाया जाता है कि नमाज़ का निर्धारित समय आ गया, सब लोग उपासना स्थल (मस्जिद) में आ जाएं।
अकबर’ के अरबी शब्द का अर्थ है ‘बड़ा’। यह इस्लामी परिभाषा में ईश्वर अल्लाह की गुणवाचक संज्ञा (Attributive Noun) है। इस परिभाषा में अकबर का अर्थ होता है बहुत बड़ा, सबसे बड़ा। अज़ान के प्रथम बोल हैं: ‘अल्लाहु अकबर’ अर्थात अल्लाह बहुत बड़ा/सबसे बड़ा है। इसमें यह भाव निहित है कि अल्लाह के सिवाय दूसरों में जो भी, जैसी भी, जितनी भी बड़ाइयां पाई जाती हैं, वे ईश-प्रदत्त हैं; और ईश्वर की महिमा व बड़ाई से बहुत छोटी, तुच्छ, अपूर्ण, अस्थायी, त्रुटियुक्त हैं।

अजान के मायेने

● अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (दो बार), अर्थात् ‘अल्लाह सबसे बड़ा है।’
● अश्हदुअल्ला इलाह इल्ल्अल्लाह (दो बार), अर्थात् ‘मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवाय कोई पूज्य, उपास्य नहीं।’
● अश्हदुअन्न मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह (दो बार), अर्थात् ‘मैं गवाही देता हूं कि (हज़रत) मुहम्मद (सल्ल॰) अल्लाह के रसूल (दूत, प्रेषित, संदेष्टा, नबी, Prophet) हैं।’
● हय्या अ़लस्-सलात (दो बार), अर्थात् ‘(लोगो) आओ नमाज़ के लिए।’
● हय्या अ़लल-फ़लाह (दो बार), अर्थात् ‘(लोगो) आओ भलाई और सुफलता के लिए।’
● अस्सलातु ख़ैरूम्-मिनन्नौम (दो बार, सिर्फ़ सूर्योदय से पहले वाली नमाज़ की अज़ान में), अर्थात् ‘नमाज़ नींद से बेहतर है।’
● अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (एक बार), अर्थात् ‘अल्लाह सबसे बड़ा है।’
● ला-इलाह-इल्ल्अल्लाह (एक बार), अर्थात् ‘कोई पूज्य, उपास्य नहीं, सिवाय अल्लाह के।’

इस्लाम की कुछ खासियत

सारे धर्म अच्छी शिक्षाएँ देते हैं। सब, एक ही शाश्वत शक्ति की बात करते हैं चाहे उसके नाम अलग ही हों; यानी—ईश्वर, ख़ुदा, अल्लाह, गॉड आदि। सारे धर्मों की मंज़िल एक ही है चाहे रास्ते अलग-अलग हों। इस तरह सारे धर्म ‘सत्य’ हैं, समान हैं। फिर इस्लाम को ही ‘सत्य धर्म’ क्यों माने ?



● इस्लाम धर्म कहता है कि पूज्य, उपास्य केवल ‘एक ईश्वर’ है और दूसरा धर्म कहे कि नहीं, दो उपास्य और भी हैं।
पूज्य-उपास्य होने में ‘एक’ और ‘तीन’ तक ही बात सीमित न रह जाए बल्कि कोई तीसरा धर्म कहे कि पूज्य-उपास्य तो सैकड़ों, हज़ारों, लाखों, करोड़ों हैं।


● इस्लाम धर्म कहता है ईश्वर न किसी की संतान है न उसके कोई संतान है। दूसरा धर्म कहे कि ईश्वर के एक ‘बेटा’ भी है। बेटा होने के नाते वह ईश्वरत्व में ईश्वर का साझी-शरीक है जबकि इस्लाम धर्म कहे कि ईश्वर के ईश्वरत्व में कोई साझी-शरीक है ही नहीं।

● इस्लाम धर्म कहता है ईशपरायण जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति मरने के बाद स्वर्ग में जाएगा और विपरीत चरित्र का आदमी नरक में। दूसरा धर्म कहे कि नहीं, अमुक शख़्सियत को ‘ईश्वर का पुत्र’ मान लेने से ही आदमी स्वर्ग में चला जाएगा चाहे उसने कितने ही पाप, अन्याय, अत्याचार, व्यभिचार किए हों।

● इस्लाम धर्म कहता है ‘पूज्य’ केवल ईश्वर है, उसके अतिरिक्त और कोई नहीं, कदापि नहीं। दूसरा धर्म कहे कि नहीं, माता-पिता भी पूज्य हैं, गुरु भी पूज्य, पशु भी पूज्य, नदी, पहाड़, वृक्ष, साँप भी पूज्य, और ऋषि, मुनि, महापुरुष, धर्माचार्य...सारे पूज्य हैं।

●इस्लाम धर्म कहता है पुरुष किसी पराई स्त्री (जो पत्नी न हो) के शरीर को भी (यौन-वासना से) स्पर्ष करे तो वह परलोक में नरक की यातना व प्रताड़ना झेलेगा। दूसरा धर्म कहे कि दम्पत्ति को पुत्र न होता हो तो पति अपनी पत्नी को किसी दूसरे पुरुष के पास भेज सकता है जिससे उसकी पत्नी ‘गर्भधारण’ तक संभोग (‘नियोग’) करे। इसे सामाजिक व नैतिक मान्यता भी प्राप्त होगी।

● इस्लाम धर्म कहता है शराब, जुआ को अवैध व वर्जित करे; दूसरे धर्मों में जुआ, शराब वैध हों।

● इस्लाम धर्म कहता है ईश्वर निराकार है। वह कभी भी, किसी कारण भी, किसी उद्देश्य से भी किसी भी प्रकार का आकार व शरीर धारण नहीं करता; मनुष्यों को मार्गदर्शन के लिए वह मनुष्यों में से ही किसी उचित व्यक्ति को चुन कर और उनके मार्गदर्शन के लिए माध्यम-स्वरूप उसे अपना सन्देष्टा, दूत (पैग़म्बर, रसूल, नबी) नियुक्त करता रहा है। दूसरा धर्म कहे कि वह सन्देष्टा, दूत, महापुरुष (ऋषि), साकार रूप में ‘स्वयं ईश्वर’ होता है जो मानव शरीर धारण करके पृथ्वी पर अवतरित होता रहा है। इसके अलावा अनेक अन्य जीवधारियों का शरीर धारण करके भी अवतरित होता रहा है।

● एक धर्म कहे कि मृत्यु-पश्चात् स्वर्ग नरक भी है और पुनर्जन्म व आवागमन भी (जबकि दोनों मान्यताएँ परस्पर विरोधी भी हों), इस्लाम धर्म कहता है नहीं, मृत्यु के पश्चात् (पुनर्जन्म नहीं) केवल पुनरुज्जीवन होगा। परलोक में यह ‘पुनःजीवन’ या तो स्वर्ग में बीतेगा या नरक में।

● इस्लाम धर्म कहता है सारे मनुष्य, मनुष्य की हैसियत में बराबर हैं, उनमें कोई भी जन्मजात ऊँचा-नीचा, श्रेष्ठ-तुच्छ नहीं। दूसरा धर्म कहे कि नहीं, मनुष्यों में जन्मजात (नस्ली) ऊँच-नीच है, यह कभी समाप्त नहीं होता।

● इस्लाम धर्म कहता है उसका मूलग्रंथ शुद्ध एवं पूर्णरूपेण ईश्वरीय ग्रंथ है, दूसरा धर्म कहे कि उसका ग्रंथ मानव-कृत, मानवीय हस्तक्षेप और संशोधन-परिवर्तन से रहित नहीं है फिर भी वह ‘ईश-वाणी’, ईशग्रंथ ही है। तीसरा धर्म कहे कि उसके ग्रंथ के ईशग्रंथ होने के कोई प्रमाण नहीं हैं। कौन-सा/कौन से ग्रंथ धर्म के मूलग्रंथ हैं यह भी सर्वमान्य रूप से निश्चित नहीं। और वस्तुस्थिति यह हो कि सभों में परस्पर भी विरोधाभास है और उनमें से प्रमुख ग्रंथों में आंतरिक विरोधाभास भी।


Wednesday, November 10, 2010

टोनी ब्लेयर की साली ने अपनाया इस्लाम



ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की साली ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर लिया है. चेरी ब्लेयर की बहन लौरेन बूथ ने बीते सप्ताह इस्लाम कबूल करने की घोषणा की. बूथ पेशे से पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 43 साल की बूथ ने इस्लाम कबूल करने की बात लंदन में बीते सप्ताह सामाजिक संगठन ग्लोबल पीस एंड यूनिटी 2010 के बैनर तले हुए एक कार्यक्रम में उजागर की. कई इस्लामिक कट्टरपंथी नेताओं की मौजूदगी में बूथ ने बताया कि उन्होंने यह फैसला उन लोगों की धारणा बदलने के लिए किया है जो इस्लाम को आतंकवाद फैलाने वाला मानते हैं.

जन्म से कैथोलिक बूथ कई साल तक ईरान के अंग्रेजी न्यूज चैनल प्रेस टीवी के लिए काम कर चुकी है. उन्होंने बताया कि ईरान में छह सप्ताह पहले एक दरगाह पर इस्लाम की ओर बरबस खींचने वाला अनुभव महसूस किया जिसकी वजह से वह इस्लाम को कबूल करने से खुद को रोक नहीं पाई. तभी से बूथ रोजाना पांच वक्त की नमाज पढ़ती हैं और कभी कभी मस्जिद भी जाती हैं
बूथ कहती हैं ..मुझे मालूम है कि मेरे इस फैसले से विवाद पैदा हो सकता है लेकिन इससे बेपरवाह मैं कुरान पढ़ती हूं और घर से बाहर निकलने पर सिर तक हिजाब भी पहनती हूं. वह कहती हैं कि पिछले 45 दिन से एल्कोहल को भी हाथ नहीं लगाया.

कैथोलिक मूल की चेरी ब्लेयर और 2007 में चर्च ऑफ इंग्लैंड छोड़कर रोमन कैथोलिक बन चुके टोनी ब्लेयर की ओर से फिलहाल इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. पिछले महीने ही बूथ ने ब्लेयर पर इस्लाम के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह इज्राएल फलस्तीन मामले में सही ढंग से मध्यस्थता नहीं कर सकते. वह इराक पर 2003 में अमेरिकी हमले में ब्रिटेन के शामिल होने का विरोध कर इस फैसले के लिए ब्लेयर की आलोचना भी कर चुकी हैं.





इस्लाम में जेहाद की कोई जगह नहीं: ओबामा



मुंबई. मुंबई में सैंट जेवियर्स कॉलेज में छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए अमरीका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने कहा कि इस्लाम पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इस्लाम में जेहाद और हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। मैं खुद इस्लाम धर्म की बहुत इज्जत करता हूं।

आज दुनियाभर में अलग-अलग धर्मों, जातियों, नस्लों के लोग एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं और दुनिया को तरक्की पर ले जा रहे हैं। दुनिया में कोई भी धर्म हिंसा फैलाना नहीं चाहता।

Tuesday, November 9, 2010

इस्लाम में सारे मुस्लिम बराबर है

हम सब जानते हैं कि काले नीग्रो लोगों के साथ आज भी ‘सभ्य!’ सफे़द रंगवाले कैसा व्यवहार करते है? फिर आप आज से चैदह शताब्दी पूर्व इस्लाम के पैग़म्बर के समय के काले नीग्रो बिलाल के बारे में अन्दाज़ा कीजिए। इस्लाम के आरम्भिक काल में नमाज़ के लिए अज़ान देने की सेवा को अत्यन्त आदरणीय व सम्मानजनक पद समझा जाता था और यह आदर इस ग़ुलाम नीग्रो को प्रदान किया गया था। मक्का पर विजय के बाद उनको हुक्म दिया गया कि नमाज़ के लिए अज़ान दें और यह काले रंग और मोटे होंठोंवाला नीग्रो गुलाम इस्लामी जगत् के सब से पवित्र और ऐतिहासिक भवन, पवित्र काबा की छत पर अज़ान देने के लिए चढ़ गया। उस समय कुछ अभिमानी अरब चिल्‍ला उठे, ‘‘आह, बुरा हो इसका, यह काला हब्शी अज़ान के लिए पवित्र काबा की छत पर चढ़ गया है।’’शायद यही नस्ली गर्व और पूर्वाग्रह था जिसके जवाब में आप(सल्ल.) ने एक भाषण (ख़ुत्बा) दिया। वास्तव में इन दोनों चीज़ों को जड़-बुनियाद से ख़त्म करना आपके लक्ष्य में से था। अपने भाषण में आपने फ़रमाया-‘‘सारी प्रशंसा और शुक्र अल्लाह के लिए है, जिसने हमें अज्ञानकाल के अभिमान और अन्य बुराइयों से छुटकारा दिया। ऐ लोगो, याद रखो कि सारी मानव-जाति केवल दो श्रेणियों में बँटी हैः एक धर्मनिष्ठ अल्लाह से डरने वाले लोग जो कि अल्लाह की दृष्टि में सम्मानित हैं। दूसरे उल्लंघनकारी, अत्याचारी, अपराधी और कठोर हृदय लोग हैं जो ख़ुदा की निगाह में गिरे हुए और तिरस्कृत हैं। अन्यथा सभी लोग एक आदम की औलाद हैं और अल्लाह ने आदम को मिट्टी से पैदा किया था।’’इसी की पुष्टि क़ुरआन में इन शब्दों में की गई है-‘‘ऐ लोगो ! हमने तमको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और तुम्हारी विभिन्न जातियाँ और वंश बनाए ताकि तुम एक-दूसरे को पहचानो, निस्सन्देह अल्लाह की दृष्टि में तुममें सबसे अधिक सम्मानित वह है जो (अल्लाह से) सबसे ज़्यादा डरनेवाला है। निस्सन्देह अल्लाह ख़ूब जाननेवाला और पूरी तरह ख़बर रख़नेवाला है।’’ (क़ुरआन,49:13)

इस्लाम: नारी-उद्धारक

इसलाम की यह लोकतांत्रिक विशेषता है कि उसने स्त्री को पुरुष की दासता से आज़ादी दिलाई। सर चाल्र्स ई.ए. हेमिल्टन ने कहा है-‘‘इस्लाम की शिक्षा यह है कि मानव अपने स्वभाव की दृष्टि से बेगुनाह है। वह सिखाता है कि स्त्री और पुरुष दोनों एक ही तत्व से पैदा हुए, दोनों में एक ही आत्मा है और दोनों में इसकी समान रूप से क्षमता पाई जाती कि वे मानसिक, आध्यात्मिक और नैतिक दृष्टि से उन्नति कर सकें।’’

स्त्रियों को सम्पत्ति रखने का अधिकार

अरबों में यह परम्परा सुदृढ़ रूप से पाई जाती थी कि विरासत का अधिकारी तन्हा वही हो सकता जो बरछा और तलवार चलाने में सिद्धस्त हो। लेकिन इस्लाम अबला का रक्षक बनकर आया और उसने औरत को पैतृक विरासत में हिस्सेदार बनाया। उसने औरतों को आज से सदियों पहले सम्पत्ति में मिल्कियत का अधिकार दिया। उसके कहीं बारह सदियों बाद 1881ई. में उस इंग्लैंड ने, जो लोकतंत्र का गहवारा समझा जाता है, इस्लाम के इस सिद्धान्त को अपनाया और उसके लिए ‘दि मैरीड वीमन्स एक्ट’ (विवाहित स्त्रियों का अधिनियम) नामक क़ानून पास हुआ। लेकिन इस घटना से बारह सदी पहले हजरत मोहम्मद (saw) यह घोषणा कर चूके थे-‘‘औरत-मर्द युग्म में औरतें मर्दों का दूसरा हिस्सा हैं। औरतों के अधिकार का आदर होना चाहिए।’’‘‘ इस का ध्यान रहे कि औरतें अपने निश्चित अधिकार प्राप्त कर पा रही हैं (या नहीं)।’’ (अल-अमीन)

इस्लाम और कुरआन पर महापुरूषों के विचार

खुदा के समक्ष रंक और राजा सब एक !समानइस्लाम के इस पहलू पर विचार व्यकत करते हुए सरोजनी नायडू कहती हैं-
‘‘यह पहला धर्म था जिसने जम्हूरियत (लोकतंत्र) की शिक्षा दी और उसे एक व्यावहारिक रूप दिया। क्योंकि जब मीनारों से अज़ाद दी जाती है और इबादत करने वाले मस्जिदों में जमा होते हैं तो इस्लाम की जम्हूरियत (जनतंत्र) एक दिन में पाँच बार साकार होती है, जब रंक और राजा एक-दूसरे से कंधे से कंधा मिला कर खडे होते हैं और पुकारते हैं, ‘अल्लाहु अकबर’ यानी अल्लाह ही बडा है। मैं इस्लाम की इस अविभाज्य एकता को देख कर बहुत प्रभावित हुई हूँ, जो लोगों को सहज रूप में एक-दूसरे का भाई बना देती है। जब आप एक मिस्री, एक अलजीरियाई, एक हिन्दुस्तानी और एक तुर्क (मुसलमान) से लंदन में मिलते हैं तो आप महसूस करेंगे कि उनकी निगाह में इस चीज़ का कोई महत्व नहीं है कि एक का संबंध मिस्र से है और एक का वतन हिन्दूस्तान आदि है।’’


विश्व प्रसिद्ध शायर गोयटे ने पवित्र कुरआन के बारे में एलान किया थाः ‘‘यह पुस्तक हर युग में लोगों पर अपना अत्यधिक प्रभाव डालती रहेगी।’

जार्ज बर्नाड शा का भी कहना हैः
‘‘अगर अगले सौ सालों में इंग्लैंड ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप परकिसी धर्म के शासन करने की संभावना है तो वह इस्लाम है।’’


इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका’ में उल्लिखित है -‘‘समस्त पैग़म्बरों और धार्मिक क्षेत्र के महान व्यक्तित्वों में मुहम्मद (saw) सबसे ज़्यादा सफल हुए हैं।


प्रेमचंद जी ‘‘इस्लामी सभ्यता’’ पुस्तिका जो मधुर संदेश संगम, दिल्ली से भी छपी है, में लिखते हैं:
‘‘जहां तक हम जानते हैं कि किसी धर्म ने न्याय को इतनी महानता नहीं दी जितनी इस्लाम ने।’’



स्नेह और सहिष्णुता के प्रचारक स्वामी विवेकानन्द कहते हैं ‘‘पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम संसार मे समानता के संदेशवाहक थे। वे मानवजाति में स्नेह और सहिष्णुता के प्रचारक थे। उनके धर्म में जाति-बिरादरी, समूह, नस्ल आदि का कोई स्थान नहीं है।’’



सी एस श्रीनिवास ‘‘हिस्ट्री आफ़ इंडिया’’ में, जो मद्रास से 1937 मे प्रकाशित हुई थी, लिखते हैं
‘‘इस्लाम के पैग़बर ने जब एक शासक का स्थान प्राप्त किया तो भी आपका जीवन पूर्व की भांति सादा रहा। आप सुधारक भी थे और विजेता भी। आपने लोगों के अख़्लाकष् को बुलंद किया। प्रतिशोध लेने को अनुचित ठहराया और खोज-बीन के बिना रक्तपात से रोका, विखंडित कष्बीलों को एक कषैम बना दिया और एक ऐसा रिश्ता दिया जो ख़ानदानी रिश्तों से ज़्यादा टिकाऊ था



आदर्श जीवनजगत पै़ग़म्बरे-इस्लाम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के विषय में महात्मा गांधी के विचार इस तरह हैं
'‘मैं पैग़म्बरे-इस्लाम की जीवनी का अध्ययन कर रहा था। जब मैंने किताब का दूसरा भाग भी ख़त्म कर लिया तो मुझे दुख हुआ कि इस महान प्रतिभाशाली जीवन का अध्ययन करने के लिए अब मेरे पास कोई और किताब बाकी नहीं। अब मुझे पहले से भी ज़्यादा विश्वास हो गया है कि यह तलवार की शक्ति न थी जिसने इस्लाम के लिए विश्व क्षेत्रा में विजय प्राप्त की, बल्कि यह इस्लाम के पैग़म्बर का अत्यन्त सादा जीवन, आपकी निःस्वार्थता, प्रतिज्ञा-पालन और निर्भयता थी, आपका अपने मित्रों और अनुयायियों से प्रेम करना और ईश्वर पर भरोसा रखना था। यह तलवार की शक्ति नहीं थी, बल्कि ये सब विशेषताएं और गुण थे जिनसे सारी बाधाएं दूर हो गयीं और आपने समस्त कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर ली।मुझसे किसी ने कहा था कि दक्षिण अफ्ऱीकष में जो यूरोपियन आबाद हैं, इस्लाम के प्रचार से कांप रहे हैं, उसी इस्लाम से जिसने मोरक्को में रौशनी फैलायी और संसार-निवासियों को भाई-भाई बन जाने का सुखद संवाद सुनाया। निःसन्देह दक्षिण अफ्ऱीका के यूरोपियन इस्लाम से नहीं डरते हैं, लेकिन वास्तव में वह इस बात से डरते हैं कि अगर इस्लाम कुबूल कर लिया तो वह श्वेत जातियों से बराबरी का अधिकार मांगने लगेंगे।आप उनको डरने दीजिए। अगर भाइ-भाई बनना पाप है, यदि वे इस बात से परेशान हैं कि उनका नस्ली बड़प्पन कायम न रह सके तो उनका डरना उचित है, क्योंकि मैंने देखा है कि अगर एक जूलो ईसाई हो जाता है तो वह सफ़ेद रंग के ईसाइयों के बराबर नहीं हो सकता। किन्तु जैसे ही वह इस्लाम ग्रहण करता है, बिल्कुल उसी वक्त वह उसी प्याले में पानी पीता है और उसी तश्तरी में खाना खाता है जिसमें कोई और मुसलमान पानी पीता और खाना खाता है, तो वास्तविक बात यह है जिससे यूरोपियन कांप रहे हैं।’’जगत महर्षि, पृष्ठ 2इन्सानियत फिर ज़िन्दा हुई






Sunday, November 7, 2010

What is Islam

Islam is the monotheistic religion articulated by the Qur’an, a text considered by its adherents to be the verbatim word of ALLAH and by the teachings and normative example of Muhammad, the last Prophet of Islam. The word Islam means 'Submission to God' and an adherent of Islam is called a Muslim.Muslims believe that God is one and incomparable.
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